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प्यार हुआ चुपके से ( 2 )





एक लड़की अपनी स्टडी टेबल पर बैठी हुई पढ़ रही थी। किसी के रोने की आवाज से उसका ध्यान भंग हो गया। आवाज को सुनकर वह चिंतित हो गई क्योंकि वह उस आवाज से अच्छी तरह से परिचित थी। उसकी परेशानी तब ओर भी ज्यादा बढ़ गई जब उसे किसी चीज के गिरने की आवाज सुनाई दी। आवाज सुनते ही वह उस की तरफ़ दौड़ पड़ी। 

पर जैसे ही वह कमरे में पहुंची उसके सिर पर फूलदान आकार जोर से लगा। फूल दान बहुत जोर से उसके सिर से टकराया था जिसकी वजह से वह बेहोश हो गई।

इन सब को देखकर अयान की आंखें फटी की फटी रह गई। पहले से ही उसका दिमाग सुन्न होने की वजह से एक बार को उसे लगा कि उसने अपनी बहन को खो दिया। पर जैसे ही वह वास्तविकता में आया वह चिल्लाते हुए अपनी बहन के पास पहुंच गया। उसका सिर अपनी गोद में लेकर बैठ गया।

"विशु....विशु" वह उसे होश में लाने की कोशिश कर रहा था और साथ ही साथ बैचेनी से उसकी हथेलियों को रगड़ रहा था, जिस से वह होश में आ सके।

जब वह होश में नही आई आयान उसे गोद में उठाकर हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ा। घर से बाहर निकलते ही वह ऑटो का वेट करने लगा। पर तभी उसे याद आया कि ऑटो वाले तो आज हड़ताल पर है। इतना याद आते ही उसे ऐसा लगा जैसे उसके पैरो तले से जमीन की खिसक गई हो।





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"साला.....! आज का तो दिन ही खराब है।" शिवी अपना फोन रखते हुए बोली।

"तेरी तो शक्ल और ज़िंदगी दोनों ही खराब है....." आशी ने अपना सामान सेट करते हुए शिवी को छेड़ते हुए कहा। जिसे सुनकर वह नाराज होने का दिखावा करने लगी।

"मजाक कर रही हूं यार....समझा कर।"

"हेहे..... नही समझना।" इतना कहते ही शिवी दांत दिखाने लगी।

"वैसे सही कह रही है यार....पिछले कुछ दिन बड़ी मुश्किल भरे निकले है...।" इतना कहते ही वह पुराने दिनों की याद में खो गई।



"भाग आशी।" शिवी चिल्लाते हुए स्टेशन पर दौड़ रही थी। आशी को स्टेशन पर ही छोड़कर वह टिकट लेने चली गई। आशी वही पर ट्रेवलिंग बैग के ऊपर बैठकर उसका इन्तजार करने लगी। पर जब आधे घण्टे तक भी वह वापिस नही लौटी तो वह परेशान हो गई। आशी ना तो ऐसे खड़ी रह सकती थी और ना ही समान को छोड़कर उसके पास जा सकती थी। पर जैसे ही वह शिवी को बुलाने चलने लगी शिवी मटकते हुए उसके पास आ रही थी। 

"मिल गई टिकट?" आशी ने असमंजन की स्थिति में पूछा।

"नहीं मिली....!" शिवी दांत दिखाते हुए बोली।

"क्या मतलब नहीं मिली?" आशी आग बबूला होते हुए बोली।

"मतलब यह है कि ट्रेन पहले ही जा चुकी थी।" शिवी ने लापरवाही के साथ कहा।

"और तू वहां इतनी देर से पकौड़े तल रही थी....?" शिवी की हर एक बात आशी के गुस्से में घी का काम कर रही थी।

"नहीं वो क्या है कि मै.........." वह आगे बोल पाती आशी उसकी बात को बीच में काटते हुए बोली।

"और तू वहां पर टिकट काउंटर पर ही बकबक करने लगी।"

"नही...! ये पता किया है कि दूसरी ट्रेन रात को 11 बजे आएगी और अभी शाम के पांच बजे हुए है।" शिवी ने अपनी बात इस तरीके से कही मानो उसने कोई जंग जीत ली हो।

"क्या......" इतना कहते ही आशी की आँखें फटी की फटी रह गई और फिर वह आगे बोली। "मतलब क्या है ? हमें यहां पर छः घण्टे और रुकना पड़ेगा..... तुम्हारा दिमाग सही भी है या नही!" आशी ने आग बबूला होते हुए कहा।

"ये ही सच है......वरना हमें घर जाकर वापिस आना पड़ेगा।" इतना कहते ही शिवी सिर खुजाने लगी।

आशी कुछ नही कर सकती थी इसलिए मन मसोस कर उसे उसकी बात माननी पड़ी। दोनों अपना सामान उठाकर ब्रिज के ऊपर चली गई। वहां पर दोनों अपना सामान लेकर एक तरफ बैठ गई। एक एक सेकंड काटना दोनों के लिए भारी पड़ रहा था। वें दोनों कभी बातें करने लगती कभी कुछ तो कुछ। बीच बीच में शिवी कभी खाने को ले आती। बड़ी मुश्किल से दोनो वहां पर अभी तक 2 ही घंटे काट पाई। इस दौरान उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत शिवी का लड़के जैसा दिखना साबित हुई।

वहां से गुजरने वाले लोगों में से किसी को लगा कि वें दोनों घर छोडकर भाग हुए आशिक है तो किसी को कुछ लग रहा था........। वही आती जाती लड़कियां शिवी को देखकर लाइन मार रही थी वही आशी की अकड़ और शिवी की वजह से लड़के उस से दूर ही थे। शिवी और आशी आते जाते हुए लोगों से बुरी तरह से परेशान हो चुकी थी। पर जैसी ही सात बजे अचानक से चारों तरफ अंधेरा छा गया। कुछ देर बाद जोर जोर से तेज रेतीली हवाएं चलने लगी। 

तेज हवाओं के चलते ही शिवी आशी से जाकर लिपट गई। आशी उसे खुद से दूर करते हुए बोली। "शिवी दूर हो जाओ मुझे से। देखो आते जाते लोग कैसे देख रहे है।"

"देखने दो........ तुम्हें मालूम है कि मुझे तेज बारिश, हवा और बिजली से कितना ज्यादा डर लगता है।" शिवी ने उसे घूरते हुए कहा।

"हां पता है....." आशी ने ठंडी आह भरते हुए कहा।

वें दोनों खुद में ही उलझी हुई थी कि तभी जोर जोर से बारिश होने लगी। बारिश के साथ साथ बिजली भी जोर जोर से कड़क रही थी। बाकी की रही सही कसर ओलों ने पूरी कर दी। ब्रिज की छत पर ओले पड़ने की वजह से स्टेशन किसी हॉरर मूवी की वाइब दे रहा था। शिवी के लिए अब वहां पर टाइम काटना बेहद मुश्किल भरा हो चुका था। डर के मारे उसकी हालत खराब हो रही थी। जब तक बारिश रही उसका हाल बेहाल ही रहा। शिवी की क़िस्मत अच्छी थी बारिश 10 बजे से पहले ही रुक गई। 

बारिश के रुकने के बाद शिवी की जान में जान आई। आशी अपनी जगह से उठते हुए बोली। "आशी चल बारिश रुक गई है। जाकर टिकट ले आते है।"

"मै पहले ही ले आई हूं।" शिवी ने जवाब दिया।

"अरे वाह....! पहली बार कोई ढंग का काम किया है।" आशी ने गर्व के साथ कहा।

एक घंटा इंतजार के बाद रेल स्टेशन पर पहुंच चुकी थी। रेल के रुकते ही दोनों रेल में हाई क्लास कंपार्टमेंट में जाकर बैठ गई। आशी ने टिकट लेकर अपनी सीट तो ढूंढ ली। पर शिवी को अपनी सीट नही मिल रही थी। उसे परेशान देख आशी ने सीट देखने के लिए उसके हाथ से टिकेट ले लिया। जैसे ही उसने उसके हाथ से टिकेट लिया उसने देखा कि टिकेट लोकल कंपार्टमेंट का था। जिसे देखकर उसके चेहरे की हवाइयां उड़ गई। शिवी ने उसे परेशान होता हुआ देख पूछा। "क्या हुआ आशी। तेरा चेहरा पीला क्यों पड़ गया।"

"ये क्या है? तूने मेरा टिकट हाई क्लास का और अपना लोकल का लिया है ? क्यों ....?" शिवी को टिकेट दिखाते हुए आशी ने कहा।

"मर गया मैं तो! टीटी जब टिकट देखने आएगा वो तो मुझे मुझे जेल में डाल देगा।" इतना कहते ही दोनों वहां पर सिर पकड़ कर बैठ गई।



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ऑटो ना मिलने की वजह से अयान अपनी बहन को गोद में ही उठाकर हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गया और हॉस्पिटल जाते ही उसे एडमिट कर दिया। रास्ते में चलने की वजह से उसका काफी खून बह गया था। थोडी देर बाद ड्रॉक्टर कैबिन से बाहर आया और आते ही बोला।

"मिस्टर अयान ! डरने की कोई जरूरत नही है। बस हल्का सा खून निकला था जिस पर मरहम पट्टी कर दी है। कुछ दिन खाने पीने का ध्यान रखोंगे तो ये जल्द ही ठीक हो जाएगी।" इतना सुनकर आयान डॉक्टर को थैंक्स बोलकर सीधा अपनी बहन के पास चला गया।

"मै तो मजाक में ही कहती थी तूने तो सच में मेरा खून निकाल दिया।" आयान के जाते ही विशालाक्षी (अर्थ—बड़ी बड़ी आंखों वाली।) ने उसे झेड़ते हुए कहा।

"तुझे मजाक सूझ रहा है....मेरा डर के मारे बुरा हाल हो गया था। अगर तुझे कुछ हो जाता तो.......!" इतना कहते ही अयान चुप हो गया।

"आयु तू भी एक नंबर का पागल है। तेरी हरकतें बच्चों के जैसी होती है। पहले खुद चोट मारते हो फिर मरहम भी खुद ही लगाते हो।" इतना कहते ही विशालाक्षी हंसने लगी।

"मेरा मजाक बनाना बंद भी करेंगी तू?" अयान ने अपनी एक भौंह चढ़ाते हुए कहा।

"कभी भी नही..! मै तुझ से बड़ी हूं।" विशालाक्षी जीभ निकाल कर उसे चिढ़ाने लगी।

"बस कर....दो मिनट ही बड़ी है।" इतना कहते ही उसने उसके माथे पर चपत लगा दी जिसकी वजह से वह दर्द का नाटक करने लगी जिसे देखकर अयान घबरा गया। उसकी इस हरकत पर विशालाक्षी हंसते हुए बोली। "कितने डरते हो तुम.....!"

"मैं नही डरता मुझे अपनों की फिक्र है बस......" वह आगे कुछ कह पता विशालाक्षी उसकी बात बीच में ही काटते हुए बोली। "दिख गई तुम्हारी फिक्र आज..... " इतना कहते ही वह कुछ देर के लिए रुकी और फिर आगे बोली। "वैसे तुमने उस प्यारे से फूलदान के ऊपर किसकी भड़ास निकाली थी......."इतना कहते ही विशालाक्षी अयान की तरफ सवालियां अंदाज में देखने लगी।

"किसकी की भी नही। तुम्हें तो पता ही है मुझे जरा जरा सी बात पर गुस्सा आ जाता है। बाकि सारी बात घर जाकर बताऊंगा।" आयान ने बड़ी ही मासूमियत से कहा। दवाई लेने के बाद दोनों अपने घर के लिए रवाना हो गए।



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जब तक टीटी वहां नही आया दोनों ऐसे ही बैठी रही और एक दूसरे को घूरती रही। टीटी को आते देख दोनों अपनी जगह पर खड़ी हो गई। आशी सीधा टीटी के पास चली गई। जाते ही आशी ने सब कुछ बता दिया कि कैसे गलती से टिकेट में हेर फेर हो गई। 

दोनों की किस्मत अच्छी थी कि टीटी समझदार निकला और उसने दोनों को अगले स्टेशन पर लोकल ट्रेन में भेजने के बारे में बता दिया और अगला स्टेशन आते ही दोनों को लोकल कंपार्टमेंट में भेज दिया।

ये सब याद कर दोनों हँसने लगी और फिर आशी थोडा सीरीयस होते हुए बोली। "बस अब आगे कुछ भी ऐसा ना हो। मुझे अजीब सा महसूस हो रहा है।"

"सब कुछ सही होगा आशी....." शिवी ने उसे आश्वासन देते हुए कहा।

"उम्मीद करती हूं...... सब अच्छा ही ही!" इतना कहते ही आशी चुप हो गई।



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कहानी जारी रहेंगी......................!

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7 Comments

Achha likha hai aapne 🌺💐

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इस भाग में भी कॉमेडी और सस्पेंस बरकरार रहा। पिछले भाग में अयान की हालत देखकर कुछ ऐसा याद आया, की लगा किसी के घर में कैमरा छुपाई हो😂 और उसी का सब कुछ लिख दी हो, बस जेंडर चेंज करके। और इस भाग में तो रियल लाइफ का ही लगभग सब कुछ ही हिस्ट्री रिपीट लग रहा है, बस थोड़ा अलग तरीके से। मैं एक लड़की को जानती हूँ, जिसने 16-17 की एज में लड़कियों को ही डेट किया है। उसकी आवाज से लड़की है या लड़का पता लगाना मुश्किल था।😂 और देखने में एक क्यूट लड़का लगती थी। खैर अब सब कुछ चेंज है। शायद आशी का किरदार खुद को दी हो। जो भी हो, यह भाग भी कॉमेडी और सस्पेंस से भरपुर था। और कहानी पेश करने का तरीका भी अलग। हर दृश्य को अलग तरीके से दिखाना। आशी और शिवि की हालत पर हंसी आ रही थी, तो वहीं अयान के लिए बुरा लग रहा था। इस भाग में भी डायलॉग्स और कहानी की प्रस्तुति बहुत अच्छी है। देखते है अगले भाग में क्या होता है... अयान अपनी बहन को सारा सच बता देगा या नही। और बताएगा तो उसकी बहन का क्या रिएक्शन होगा। और शिवि का वो मेसेज आशी पर कौन सा मुसीबत लायेगा। और अगर मैं गलत नही हूँ, तो शायद ट्रेलर में जिस लड़के की बात हुई है, वो अयान ही है। और वो लड़की माही। देखते है अयान से कौन सी गलती हुई होती है, और उसकी और माही की 5 साल बाद कैसे मुलाकात होगी। और उसके सवालो का जवाब माही देगी या नही और देगी भी तो दुनिया को कैसे बचाएंगे। शायद से किसी रोबॉट का खतरा हो🤔 या दूसरा भी है तो कौन सा खतरा है!

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Seema Priyadarshini sahay

08-Apr-2022 04:30 PM

बहुत सुंदर और अत्यंत रोचक

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